तुम्हे कोई क्या सहारा देगा
तुम्हे कोई क्या सहारा देगा
तुम्हे कोई क्या उठायेगा
गिर गए हो तो रेंग के चलो
तेरा रेंगना ही तुझे मंज़िल दिलाएगा
कभी इस बात पे डरना कभी उस बात पे डरना
ये क्या बात हुई कि हर बात पे डरना
ये तेरा डर ही तुझे जिन्दा जलाएगा
न वो जरूरी था न ये जरूरी है
तू बड़ी सोच रख बस ये जरूरी है
मिलेगा वहां तक जहाँ तक तू सोच पाएगा
तुम्हे कोई क्या सहारा देगा
तुम्हे कोई क्या उठायेगा
गोविन्द कुंवर