तू है नारी
एक शख्स जिसे मेरे होने का उसे गुमान है
उसके बगैर मेरी सारी दुनिया बिरान है
तू है नारी,तू है माँ, तुझे मेरा प्रणाम है
घर गृहस्ती का तेरे हाथों में सारा कमान है
कोख में रखकर बच्चों को दिया मेरा नाम है
तू है नारी,तू है पत्नी, तू मेरी बच्चों की माँ है
दोनों कुल खानदानों का बढ़ाया जिसने शान है
घर की बेटी नहीं तू हम सबका का अभिमान है
तू है नारी,तू है बहन, तुझे मेरा सलाम है
मेरी दुआओं का तू वरदान है,बेटी नहीं तू मेरा स्वाभिमान है
बैठो न तुम जमीं पे, सितारों से भी आगे तेरा मुकाम है
तू है नारी, तू है बेटी, तुझसे ही जुड़े सारे अरमान है
तपती गर्मी में तू ठंडी हवा के समान है
मैं भटका हुआ राही तू मेरा मकान है
तू है नारी,तू है प्रेमिका, तुझपे ही ख़त्म मेरा कलाम है
गोविन्द कुंवर