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सारे समाज का बलात्कार है

हाथरस की घटना पर सबने अलग-अलग ढंग से प्रतिक्रिया दी।  किसी ने कहा ये दलित के साथ बलात्कार है तो किसी ने कहा ये योगी राज का बलात्कार है तो किसी ने एक लड़की के साथ बलात्कार बोला लेकिन क्या ये सही में एक लड़की के साथ बलात्कार है ? मेरी सोच बिल्कुल अलग है लड़की तो बस एक जरिया है असल में ये बलात्कार तो हर एक पुलिस वाले के साथ हुआ जो कानून की रक्षा की लिए है, ये बलात्कार तो हर एक वकील के साथ हुआ जो न्याय के लिए वकालत करता है, ये बलात्कार तो हर एक जज के साथ हुआ जो समाज को न्याय दिलाने का प्रण लेता है, ये सारे समाज का बलात्कार है। 
ये पलिस ,वकील  जज रातों को सोते कैसे है इनका जमीर मर गया है क्या ? मैं तो किसी सरकार या नेताओं से कोई  उम्मीद नहीं रखता लेकिन ऐसा लग रहा है हम सबकी आत्मा मर गयी है, हमारे पुरे समाज का जमीर मर रहा है सभी लोग बिन कफन लाश घूम फिर रहे है। 
किसी समाज की महानता या गरिमा उस देश की जीडीपी से नहीं होती है बल्कि उसकी महानता इस बात पे निर्भर करती है कि उस देश के नागरिकों की मौत कितनी सम्मानजनक होती है और महिलाओं के प्रति वो समाज कितना संवेदनशील है। वरना रावण की लंका तो सोने से बनी थी मतलब उसकी जीडीपी कितनी अच्छी रही होगी लेकिन रावण वहां के नागरिकों के प्रति संवेदनशील नहीं था। 
किसी लड़की के साथ दरिंदगी और फिर इतनी विभत्स्य और दर्दनाक मौत की सुन के रूह कांप जाये किस समाज का आइना है।  दरिंदगी और पाप करने वाले भाग जाते है और जिसके साथ दरिंदगी हुयी उसे रात के अँधेरे में पट्रोल डालकर जलाया जाता है जैसे लड़की ने ही कोई पाप किया हो। 
बिलकुल ऐसा लग रहा है जैसे हम वाइल्ड लाइफ एनिमल चैनल देख रहे हो और कोई ताकतवर जानवर किसी हिरण का शिकार करके आराम से चला जाता है। उसे किसी भी कानून व्यवस्था का कोई डर या खौफ नहीं रहता है। उस जानवर के जाने के बाद कुछ भेड़िये आ जाते है और वो भी मरे हुए जानवर को मज़े से खाते है जैसे कोई घटना होने पर छुटभैये नेता अपना चेहरा चमकाने आ जाते है। फिर हवा या मीडिया की जरिये से उस लाश की गंध दिल्ली तक पहुँचती है।  फिर बड़े- बड़े गिद्ध आ जाते है, मैं अगर नेता ही बोलूं तो ठीक रहेगा वरना गिद्धो का अपमान हो जायेगा। ये नेता तो इतने गिरे हुए है की रास्ते में मीडिया के सामने जानबूझकर गिर जाते है। 
फिर मुवज़ा के नाम पर इंसाफ नहीं पैसे की बोली लगाते है कि मैं इतना दे रहा हूँ तो मैं इतना दे रहा हूँ-------
अभी रुकिए जगह-जगह सियार भी निकलेंगे मोमबत्ती लेकर और आगे की पंक्ति में मर्द ही खड़े रहेंगे । किसी भी मर्द से आप बात कर लो वो बलात्कार को जायज नहीं ठहरायेगा  तो फिर ये बलात्कार करता कौन है ? ऐसा तो नहीं हम सब मर्द दोगले हो गए है और सिर्फ अपने माँ बहन और बेटियों को माँ बहन और बेटी समझते है और दूसरी औरत को सिर्फ जिस्म ? माल ?  सेक्स टॉयज ?
मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ कि आप हर औरत या लड़की को अपनी माँ -बहन के नजरिये से देखो लेकिन आप कम से कम एक औरत को इज्जत और सम्मान तो दे सकते है उसके आत्मसम्मान को ढेस न लगने दे। उसे भी वो सारा अवसर दे जो मर्द को मिला हुआ है। किसी लड़की को कोई आरक्षण की जरूरत नहीं है बस उसे वैसा माहौल दे कि वो घर से निकलते हुए घबराये नहीं।  यकीन मानिये किसी औरत ने अगर कोई पद या मुकाम हासिल किया है तो वो हम मर्दो से कही ज्यादा मेहनत की होगी। लेकिन हम मर्द जब औरतों से मेहनत करके मुकाबला नहीं कर पाते है तो हमारे पास एक कैरेक्टर वाली ऊँगली होती है ,उठा देते है।  ये औरत चरित्रहीन है जैसे रामायण में सीता जी के साथ भी हुआ था। 
औरतें ही डायन होती है किसी मर्द को डायन देखा है ? लड़के सिगरेट पिए तो ये उनका अधिकार है लेकिन किसी लड़की ने पी लिया तो बवाल हो जाता है।  दीपिका सिगरेट पीती है सबने जान लिया कितने लोगों को पता है दीपिका एक बहुत अच्छी बैडमिंटन प्लेयर रह चुकी है और नेशनल लेवल चम्पिओन्शिप्स में भी खेल चुकी है। 
विराट कोहली अगर अच्छे परफॉरमेंस नहीं दे तो अनुष्का कैसे जिम्मेदार हो सकती है ?  मैं भ्रूण हत्या या लिंग परीक्षण के पक्ष में बिलकुल नहीं हूँ लेकिन ऐसे माहौल में कौन चाहेगा की उसके घर में बेटी का जन्म हो ?

हमारी सोच और विचार को बदलने की जरूरत है।  हमारे हिन्दू धर्म में लड़कियों और औरतों को तो देवी की तरह पूजा जाता है फिर उन्ही के ऊपर इतना अन्याय क्यूँ ? कुछ दिनों बाद अभी नवरात्री है इस अवसर पर हम  सभी अपने -अपने घरों में कन्याओं का पैर पूजते है उन्हें खाना खिलते है, आइये हम सभी लोग ये प्रण ले कि इस नवरात्री कन्याओं को खाना खिलाये या न खिलाये लेकिन अगर हमारे घर में कोई बालक या लड़का है तो उसे ये शिक्षा जरूर दे कि वो किसी भी लड़की या औरत के प्रति संवेदनशील रहे उसकी इज्जत और सम्मान करे । उसे ये बताये की लड़कियां कमजोर नहीं होती है बल्कि प्रकृति ने उनके अंदर इतना ममता और प्यार इसलिए भरा है ताकि वो एक मानव को अपनी कोख में 9 माह तक रख सके और फिर इतनी पीड़ा के बावजूद उसे पाल सके। आप उसे बताये कि कोख में  रखने और एक बचे को जन्म देने में औरत के सरीर में  प्रकृति क्या क्या बदलाव करता है। अगर आपने ये बात सही ढंग से बताने में सफल हो गए तो भविस्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रूक जाएगी और हमारा नवरात्र भी सफल माना जायेगा। 
                                                           गोविन्द कुंवर