मुहाजिर बना देती है
जिस जमीं से पांव उठा के चले
वो जमीं हमे भुला देती है
जिस मिट्टी का दामन थामा
वो मिट्टी हमे गैर समझती है
दर्द न पूछो हिज़रत करने वालों की
हम जमींदारों को भी मुहाजिर बना देती है
गोविन्द कुंवर