वक़्त का तकाज़ा है
वक़्त का तकाज़ा है घर में रहिये
सुबह शाम और दोपहर में रहिये
इस कहर में भी हिन्दू- मुस्लिम करिये
न बन सके नेता तो कोशिश करते रहिये
वो भी एक दौर था अब नए दौर में रहिये
हर सवर्ण दलित पे करता अत्याचार था
आज मुसलमान जिहादी करता जिहाद है
कोई भी दौर हो वोट बैंक वाले दौर में रहिये
वक़्त का तकाज़ा है घर में रहिये
सुबह शाम और दोपहर में रहिये
गोविन्द कुंवर