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कर्म ही पूजा है

शास्त्रों में लिखा है कर्म ही पूजा है
मंदिर में पड़ा तू कौन सा कर्म करे है 
कोई हमें बताये फिर तेरी क्यूँ पूजा है
                                 गोविन्द कुंवर