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ईमान,उसूल

ईमान,उसूल और जज्बाती बात करते हो
बात तो सही है,लेकिन सोशल नहीं हो क्या
यहाँ आदमी बसते है, तुम इंसान ढूंढते हो
बाहर के लगते हो, लोकल नहीं हो क्या
                                          गोविन्द कुंवर