logo
logo
तरस खा रहे है

भगवान भी कैसे कैसे दिन दिखा रहे है
गैरों से नहीं अपनो से  धोखे खा रहे हैं
मदद की जिनकी तरस खा कर अब 
हकीकत जानकर खुद पे तरस खा रहे है
                       
                                गोविन्द  कुंवर