इश्क तेरा यही हश्र होगा क्या
ऐ इश्क तेरा यही हश्र होगा क्या
सुबह में गुड मॉर्निंग और
रात में बस गुड नाईट होगा क्या
किसी यार के बिन किसी के प्यार के बिन
अब जिन्दगी यूँ ही बसर होगा क्या
गर है कोई भगवान या है कोई खुदा
दुआओं का भी कोई असर होगा क्या
गोविन्द कुंवर