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तेरे इश्क के पिंजरे में हूँ

तुझे क्या मालूम मैं किस कदर खतरे में हूँ
सारा समंदर छोड़कर तेरे आंख के कतरे में हूँ 
तू मेरा क़त्ल कर या मुझे दाना डाल
अब मैं तेरे इश्क के पिंजरे में हूँ 
                         गोविन्द कुँवर