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मिट्टी में मिल जायेंगे

तुम शाख हो पतझड़ के बाद तुम्हें नए पत्ते मिल जायेंगे
हम पत्ते है तुझसे बिछड़ने के बाद कहाँ जायेंगे
कुछ दिन रोएंगे सुख जायेंगे फिर मिट्टी में मिल जायेंगे
                                                  गोविन्द कुँवर