बात तो सच है
बात तो सच है कि उसने मुझे छोड़ दिया
अब क्या कहें कब कैसे क्यूँ छोड़ दिया
उसकी मर्ज़ी छोड़ दिया तो छोड़ दिया
फिर उसकी याद आयी तो खिड़की खुला छोड़ दिया
आधी गिलास पी और आधी यारों के नाम छोड़ दिया
जो लोग खुद को खुदा समझते थे मैंने उनको छोड़ दिया
आज बुत बने बैठे है जबसे मैंने पूजा करना छोड़ दिया
मैं भी तो तेरा बंदा हूँ फिर मुझे क्यों तनहा छोड़ दिया
विश्वास तुझसे यु गिरा कि फिर मंदिर जाना छोड़ दिया
गोविन्द कुंवर