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काम और प्यार

जो प्यार करते हैं, न जाने वो काम कैसे करते हैं
जो प्यार नहीं करते वो फिर काम क्या करते हैं 

उसकी यादें हमेशा मेरे साथ रहती है
वो बिन बोले भी मुझसे बात करती है
मुझे तन्हाई में भी फुर्सत नहीं मिलती
लोग तन्हाई में तनहा कैसे रहते है

मेरे हाथ कपकपाये थे,होंठ थरथराये थे
एक बात बोलने में कई दिन लगाए थे
लोग पहली बार में ही इजहार कैसे करते है
                               गोविन्द  कुंवर