ये खुदा
ये ख़ुदा कुछ दे ना दे बस ये बता दे
में किस काबिल हूँ मुझमे
इतनी अक़लियत तो दे
अक्ल वाले आज-कल अक़्लियत में है
उनमे भी कुछ काबिलियत तो दे
मौत का एक दिन मुअय्यन है
मौत से पहले कुछ मक़बूलियत तो दे
वो हुस्न-ओ-शबाब का खज़ाना है
अलफ़ाज़ नहीं जज्बात को भी समझे
उनमे इतनी सहूलियत तो दे
गोविन्द कुंवर