दुआएं
अपनी दुआएं रब से कुछ यु कुबूल करा लेता हूँ
कौन जाये रोज-रोज मंदिर फिर सोचता हूँ
चलो माँ को फ़ोन लगा लेता हूँ
गोविन्द कुंवर