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मै जिधर देखता हूँ

मै जिधर देखता हूँ,उधर हो तुम
मेरी यादों मे,बातों मे,सांसो मे हो तुम
मुझमे मेरा भी कुछ रहने दो
यूँ न मेरी रग-रग मे समायो तुम

अब जबकि मिल गए हो तुम
लेकिन मिले बहुत देर से
मै किसी के साथ सफर मे हूँ
तब हमसफ़र हो तुम
                                   गोविन्द कुंवर