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तेरे सिवा

तेरे सिवा जरा सा भी कोई नहीं मेरा
तुझे भुलाऊ कैसे, मेरी भी मज़बूरी है
मेरे सिवा तेरे चाहने वाले कई और है
तू किस किस को अपनाये,तेरी भी मज़बूरी है
                                    गोविन्द कुंवर