इससे पहले
इससे पहले कि मैं इंसान से बाजार हो जाऊं
बेहतर है ऐ "शहर" कि किसी गांव का हो जाऊं
इससे पहले कि मैं खुद से खुदा हो जाऊं
बेहतर है ऐ "शनम" कि तुझसे जुदा हो जाऊं
इससे पहले कि मैं "गोविन्द" से भीड़ हो जाऊं
बेहतर है ऐ "गोविन्द" कि महफिल से रुशवा हो जाऊं
गोविन्द कुंवर