मज़ाक समझते है
अगर में सच भी कहूँ तो
वो झूठ समझते है
दिल कि ख्वाहिश भी कहूँ तो
वो बकवास समझते है
ये खुदा कुछ तो मशवरा दे
मेरी हर बात को वो मज़ाक समझते है
गोविन्द कुंवर