माँ
मन्दिर-मन्दिर पावन मूरत देखी
गलियाँ-गलियाँ हसीन सूरत देखी
कही झोपड़ी कही महल खूबसूरत देखी
मिला है जाके दो पल चैन हमे,
बस माँ कि ऐसी आँचल देखी !
गोविन्द कुंवर