ऐ-दिल
ऐ-दिल उसे याद न कर
याद कर-कर के,वक़्त बर्बाद न कर
तू भी खुदा का बंदा है
वो भी खुदा की बंदी है
फिर खुदा से यूं फरियाद न कर
ऐ-दिल उसे याद न कर
भूल जा उसकी बातों को
दोनों ने मिलकर ख्याब जो देखे
साँझ-सबरे रातो को
हम उदाश न तुमको देख पाते है
कहा था उसने पकड़कर मेरे हाथो को
वही हाथ अब थक जाते है
आंशु पोंछ-पोंछकर रातो को
यादो की फषलों को
अश्को से आबाद न कर
ऐ-दिल उसे याद न कर
गोविन्द कुंवर